पंचायत चुनाव नजदीक आते ही गांवों में बिछने लगी चुनावी शतरंज की बिसात*

पी पी एन न्यूज
पंचायत चुनाव नजदीक आते ही गांवों में बिछने लगी चुनावी शतरंज की बिसात
(कमलेन्द्र सिंह)
खागा/ फ़तेहपुर
पंचायत चुनाव को लेकर गांवों में राजनीति गरमाने लगी है। खासतौर पर निवर्तमान और पूर्व प्रधानों ने समीकरण बैठाने के लिए शतरंज की बिसात बिछाना शुरू कर दिया है। जो कि जातीय समीकरणों के आधार पर चुनावी फतह हाँसिल करने के लिए कुछ संभावित प्रत्याशी ‘वोटकटवा’ खड़े करने की रणनीति भी बना रहे हैं।
ग्राम प्रधानों का 25 दिसंबर को कार्यकाल समाप्त हो चुका है। इसके बाद गांव की नई सरकार के गठन को लेकर कवायद शुरू हो गई है। यूपी बोर्ड की परीक्षाएं अप्रैल में होने की संभावना है। ऐसे में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव सरकार मार्च तक कराने का प्रयास कर रही है। इसको लेकर जहां पुलिस और प्रशासन की तैयारियां जोरों पर शुरू हो गई हैं। वहीं गांवों की राजनीति भी गरमा गई है। निवर्तमान प्रधान और पूर्व प्रधान जहां जातीय समीकरण अपने पक्ष में बैठाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं कुछ नए चेहरों ने भी पँचायत चुनाव में अपनी जीत हाँसिल करने के लिये जमीन तलाशने की कवायद तेज कर दी है। गांवों में सूर्यास्त होने के बाद संभावित उम्मीदवार गांवों में समर्थकों के साथ देखे जा रहे हैं। जातीय समीकरणों के आधार पर कुछ दावेदार ‘वोटकटवों को चुनावी मैदान में उतारने का तानाबाना बुनने लगे हैं। हालात यह है कि यदि किसी के घर पर कोई बीमार पड़ रहा है तो उसे अस्पताल पहुंचाने में सहयोग करने के साथ ही उसकी आर्थिक मदद भी यह लोग कर रहे हैं।जो कि अपने चुनाव प्रचार प्रसार के लिये अभी से ही शोसल मीडिया समेत अन्य आधुनिक हथकंडों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
अभी भले ही पंचायत चुनाव की तिथि घोषित नहीं हुई है, लेकिन संभावित दावेदारों ने अभी से मैदान में ताल ठोंक दी है। वह प्रचार-प्रसार के लिए सोशल मीडिया का भी सहारा ले रहे हैं। इन लोगों ने सोशल मीडिया पर अपनी फोटो और बधाई संदेश के साथ प्रचार प्रसार शुरू कर दिया है। यहां तक कि कुछ ने तो प्रधान पद के लिए दावेदारी भी प्रस्तुत कर दी है। इसके अलावा भी ये अपने प्रचार प्रसार के लिये अन्य हथकण्डे भी अपना रहे हैं।
जैसे गाँव की गलियों में शुभकामना संदेशों के साथ अपनी फोटो लगे बैनर पोस्टर लगवाना।
गाँव मे किसी के बीमार होने पर ना सिर्फ उसे अस्पताल तक पहुंचाने की ब्यवस्था करना बल्कि उसकी आर्थिक मदद करना। लोगों के घर घर जाकर उनके आधार कार्ड व फोटो लेकर उनके घर के सभी सदस्यों के नाम वोटर लिस्ट में जुड़वाने जैसे कृत्य सामिल हैं।
यही नहीं बल्कि बहुत से नये दावेदार तो अपने प्रतिद्वंदी पूर्व प्रधान के चुनावी समीकरण बिगाड़ने के लिये उसके कार्यकाल के दौरान कराये गये विकास कार्यों में अनियमितता व विकास निधि के गबन विकास योजनाओं में धांधली के आरोप लगा। उच्चाधिकारियों को प्रार्थना पत्र देकर जाँच कर सख्त कार्यवाही की माँग करने से भी नहीं चूक रहे हैं।
बहुत से मतदाता तो मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिये मतदाताओं अपात्र होने के बावजूद भी उन्हें आवास योजना का लाभ दिलाए जाने का लालच भी दे रहे हैं। हर दावेदार मतदाताओं को रिझाने और उन्हें अपने पक्ष में करने के लिये कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
जो कि अभी से ही वोटरों को रिझाने में न सिर्फ दिन रात एक किये हुए हैं। बल्कि उनकी जरूरतों की आपूर्ति के लिये दिल खोल कर पैसा भी खर्च कर रहे हैं। बल्कि वोटरों की दारू मुर्गा की ब्यवस्था में भी दिल खोल कर खर्च कर रहे हैं।
वहीं पँचायत चुनावों की तेज हो रही सरगर्मियों को देखते हुए पुलिस प्रसाशन भी काफी सतर्कता बरत रहा है। जो कि गाँवो में भृमण शील रहते हुए दावेदारों की गतिविधियों पर बराबर निगाहें गड़ाए हुए हैं। जिससे किसी प्रकार की अशांति ना फैलने पाए।
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