*नव वर्ष के उपलक्ष्य में हुई शाम-ए-गजल*

*नव वर्ष के उपलक्ष्य में हुई शाम-ए-गजल*

*नव वर्ष के उपलक्ष्य में हुई शाम-ए-गजल*

यकीं करो कि उजालों का सिलसिला हूं मैं

कवियों-शायरों के गीत-गजलों पर झूमे श्रोता

*बात भ्रष्टाचार की हो बात मजबूर वर्ग के अत्याचार की हो गांव से लेकर शहर तक की खबरों को लेकर आएंगे उदयवीर आपके बीच*

शाहजहांपुर।  राष्ट्रीय बहुजन सामाजिक परिसंघ के तत्वावधान में सेवानिवृत्त कमिश्नर कस्टम एंड सेंट्रल एक्साइज कमल किशोर कठेरिया के तारीन जलालनगर स्थित आवास पर नव वर्ष 2022 के उपलक्ष्य में एक शाम कौमी एकता के नाम कवि सम्मेलन एवं मुशायरा का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता ख्यातिप्राप्त शायर अख्तर शाहजहांपुरी ने की। गोष्ठी में शायरों ने अपने गीत व गजलों से देश के हालात और सामाजिक परिस्थितियों का वर्णन प्रस्तुत किया।    

शायर अख्तर शाहजहांपुरी ने बुझते दीये की बात कुछ इस तरह कही-

समझ रहे हो कि बुझता हुआ दीया हूं मैं।

यकीं करो कि उजालों का सिलसिला हूं मैं।।

वरिष्ठ कवि ज्ञानेंद्र मोहन ज्ञान ने नव वर्ष पर कुछ यंू कहा-

खिसक लिया एक वर्ष और,

छले गए एक बार फिर।

स्मृतियों के असंख्य दीप,

जले बुझे एक बार फिर।।

असगर यासिर ने मन की व्यथा कुछ यंू बयान की-

जो दिल में पल रही थी खलिश वह निकाल दी।

हमने भी आज नांव समन्दर में डाल दी।ं।

आफताब आलम कामिल वारसी ने कहा-

टूटी कश्ती को मैं उतार तो दंू।

तू अगर मेरा नाखुदा हो जाए।।

हमीद खिजर ने सुनाया-

चलो खुद को बदल कर देखते हैं।

नए सांचे में ढल कर देखते हैं।

राशिद हुसैन राही ने तरन्नुमी लहजे में गुनगुनाया-

खामोश तबीयत है मासूम नजर अपनी।

यंू आंख में रखता है मुझको ये नगर अपनी।।

शायरा व अधिवक्ता गुलिस्तां खान ने कहा-

उजाले में अंधेरों की हिमायत से जरा पहले।

वह मंहगा बिक गया सस्ती सियासत से जरा पहले।।

खलीक शौक ने कहा-

सजाएं मिलती हैं मजलूम बेगुनाहों को।

गुनहगार अदालत से छूट जाते हैं।।

शाहिद रजा ने कहा-

जिनके कहने से हजारों ने कलम बेच दिए।

हमसे भी कहते हैं कि सुर्ख को धानी लिखें।।

युवा कवि लालित्य पल्लव भारती ने कहा-

मैं बहुत अनजान था, पहचान कैसे हो गया।

एक बुझता दीप था, दिनमान कैसे हो गया।

इनके अलावा फहीम बिस्मिल, इशरत सगीर, मो. रिजवान, विकास सोनी ऋतुराज, याकूब सागर, राजीव गोस्वामी आतिश मुरादाबादी, शरीफ अमीन, मो. अफरोज खां, डा. मलिक असमत अली आदि ने भी गीत-गजलें प्रस्तुत कीं। गोष्ठी के अंत में मुख्य आयोजक व संस्थाध्यक्ष केके कठेरिया ने कहा कि बुद्धिजीवी वर्ग को देश और समाज की बेहतरी के लिए आगे आना चाहिए। इस अवसर पर जरीफ मलिक आनंद, इमरान सईद, जहीर खान कलीमी, इरफान अहमद अंसारी, सईद बेग, सुरेश चंद्र, अरूण दीक्षित, आफाक हुसैन खां, शोभित गुप्ता, आरिफ खां, संजय राठौर, प्रशांत कठेरिया, डा. नुसरत, अनुज, कुंवर पाल, सर्वेश वर्मा, अनूप कुमार, शम्सुददीन आदि उपस्थित रहे। संचालन डा. मंसूर अहमद सिद्दीकी ने किया। अंत में संयोजक महबूब हुसैन इदरीसी ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

उदय वीर सिंह शाहजहांपुर

Comments

Leave A Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *