*मुख्यमंत्री चुस्त, ज़िला प्रशासन सुस्त...!*

*बड़ी ख़बर...*
*मुख्यमंत्री चुस्त, ज़िला प्रशासन सुस्त...!*
पी पी एन न्यूज
(कमलेन्द्र सिंह)
सत्ता के अलमंबरदारो के संरक्षण में हाइवे व कब्रिस्तान की ज़मीन को हड़पने में जुटे भू-माफिया
प्रशासनिक जिम्मेदारों और मुतवल्ली की भूमिका भी संदिग्ध
हाइवे (नउवाबाग) से जुड़ी करोड़ों की सरकारी जमीन पर शुरू हो गई प्लाटिंग...
3.18 बीघे भूमिधरी ज़मीन के साथ हाइवे की 01 बीघा 02 बिस्वा व कब्रिस्तान की 02 बीघा 16 बिस्वा ज़मीन पर भी शुरु हो गए बैनामे..!
उप निबंधक कार्यालय की भूमिका भी संदिग्ध, आऊट साइडर ने सजाया खेल...
फतेहपुर।
सूबे में सत्तारूढ़ योगी सरकार की सरकारी जमीनों के प्रति सख्तीके बावजूद भू-माफियाओं ने लगभग 03 बीघे 18 बिस्वा 132 की सुरक्षित (कब्रिस्तान आदि) लैंड पर प्लाटिंग शुरू कर दी है। सिस्टम से जुड़े एक जिम्मेदार द्वारा सजाए गए इस करोड़ों के खेल में भू-माफियाओं को सत्ता के एक आदमकद अलंबरदार का संरक्षण प्राप्त है। एक स्थानीय एवं एक कानपुर के भू-माफिया ने अपनी 3.18 बीघे भूमिधरी ज़मीन की आड़में 3.18 बीघा सरकारी ज़मीन पर भी कब्ज़ा कर लिया है और बैनामे भी शुरु हो गए हैं...!
*उल्लेखनीय है कि फतेहपुर में सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जों का जिस तरह से खेल चल रहा है, उससे कहा जा सकता है कि इस मद में योगी आदित्यनाथ के कड़े आदेश यहां के अधिकारियो के लिए जैसे कोई मायने ही नहीं रखते हैं। यानी कि मुख्यमंत्री चुस्त किंतु जिला प्रशासन के सुस्त होने से सरकारी ज़मीनो पर माफियागिरी पूरी तरह हावी है...!
बताते चलें कि शहर के नउवा बाग बाईपास (हाईवे) इलाक़े में आराजी नं. 301 कस्बा फतेहपुर उत्तरी में 03 बीघा 18 बिस्वा भूमिधरी ज़मीन पर इमरान पुत्र काले खा आदि का स्वामित्व है! इस ज़मीन के हाईवे से जुड़े न होने और पुख़्ता रास्ता न होने से इसकी इसकी बाजारू कीमत में अपेक्षित ईजाफा नहीं हो पा रहा था। प्रशासनिक सिस्टम के एक जिम्मेदार से सेटिंग के बाद कौड़ियों की कीमत वाली इस ज़मीन को बेशकीमती बनाने के उद्देश्य से हाइवे एवं कब्रिस्तान की ज़मीन को घेरकर गलतढंग से रास्ता बनाने के बाद प्लाटिंग शुरू कर दी गई है।
मुख्यमंत्री पोर्टल में भेजी गईं एक शिकायत के मुताबिक उपरोक्त कब्रिस्तान की मुतवल्ली अनवरी बेगम से इन भू माफियाओं ने साठ गाठ करके रास्ता निकालते हुए हाइवे की 01.02 बीघा जमीन को अपने रकबा 301 के 3.18 बीघा में समाहित कर लिया।
उधर उप निबंधक (बैनामा) कार्यालय की ऐसे मामलों में हमेशा से भूमिका संदिग्ध रही है। ख़बर है कि उपरोक्त कार्यालय का एक लिपिक और एक आऊट साइडर का भू माफियाओं से सेटिंग के चलते सरकारी जमीनों के बैनामो का खेल होता रहा है, जिसमे उप निबंधक की भी मिली भगत होती है। इस मामले में भी खेल सज चुका है, बस पत्ते फेकना बाकी है...!
यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री ऐसी जमीनों के प्रति खासे गंभीर है और सूबे के सभी जिला कलेक्टरों को सख्त आदेश भेजकर त्वरित कार्यवाही की अपेक्षा की जाती रही है। बावजूद इसके ज़िला प्रशासन के अधिकारियो की मिलीभगत से इस अंधेरगर्दी को अंजाम दिया जा रहा है। मामला जिम्मेदारों के संज्ञान में आने के बावजूद कोई कार्यवाही न होना अपने आप में बड़ा विषय है, जिसमे कहीं न कहीं सत्ता के अलंबरदारो की भी बड़ी भूमिका है। देखना यह है कि शहर में शत्रु संपत्तियो के साथ साथ तालाबी, पशुचर, गोचर, ग्राम समाज आदि सरकारी ज़मीनो पर धड़ल्ले से हो रहे कब्जो और बिक्री की कड़ी में इसका नाम भी जुड़ता है या फिर समय रहते कोई कार्यवाही हो पायेगी, यह अपने आप में एक सोचनीय विषय है...!
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