अतिक्रमण हटाने के नाम पर गरीबों के पेट पर लात और शोरूम के मालिकों पर नगर निगम मेहरबान

Prakash Prabhaw
लखनऊ
Report, Neeraj Upadhyay
अतिक्रमण हटाने के नाम पर गरीबों के पेट पर लात और शोरूम के मालिकों पर नगर निगम मेहरबान
राजधानी लखनऊ में दिन प्रतिदिन अतिक्रमण पैर फैलता ही जा रहा है। योगी सरकार और उनके बड़े अधिकारी अतिक्रमण जैसी समस्या से निपटने के लिए जहा मेहनत करते दिखाई दे रहे है वही कुछ ऐसे भी अधिकारी है जो अतिक्रमण को देखते हुए भी उसे दूर करने की कोशिश नहीं करता है।
यूं तो लगभग लखनऊ के सभी मुख्य मार्गों पर बड़े-बड़े शोरूम सड़कों पर कब्जा जमाए बैठे हुए हैं और उस क्षेत्र के थानाध्यक्ष और अन्य कर्मचारियों और नगर निगम के अधिकारियों को दिखाई नहीं देता है। ज्यादातर महकमे अपनी जिम्मेदारी दूसरे विभाग पर टाल कर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला छुड़ा लेते है।
कुछ ऐसा ही मामला आज आलमबाग थाना क्षेत्र के आलमबाग सब्जी मंडी का सामने आया है। यह सब्जी मंडी सुबह 5:00 बजे से लग जाती है जहाँ दूर दूर से लोग इस मंडी में थोक और फुटकर के दामों में सब्जियों को खरीदने आते है। वैसे तो इस मंडी में अक्सर शाम तक भीड़ रहती है लेकिन ज्यादातर सुबह 11:00 बजे तक थोक वाले व्यापारी इस मंडी से सामान लेकर चले जाते है।हालाँकि सब्जी मंडी अंदर लगती है लेकिन बहुत से दूकानदार अपनी दुकान को सड़क पर लगाते है। अभी करोना काल में स्थानीय प्रशासन ने इन दुकानदारों को सब्जी लगाने में कोई दिक्कत ना और कोविड 19 के प्रोटोकॉल का पालन भी हो इसके लिए सड़क पर दुकानों को चिन्हित किया गया था और यह निर्देश भी दिया गया था कि कोई भी दुकानदार इस चिन्ह से बाहर या अलग अपनी दूकान नहीं लगाएगा।
लेकिन लगता है कि अब यहाँ लगने वाली सब्जी मंडी से नगर निगम के पेट में बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है। लखनऊ नगर निगम पटरी दुकानदारो को अब परेशान कर रहा है वहा दुकानें लगाने से मना किया जा रहा है। पिछले 12 दिनों से लगातार नगर निगम ठेला लगाने वाले व्यापारियों को परेशान कर रहा है। ठेला दुकानदारों का कहना है लगभग पिछले 20 सालो से आलमबाग में दुकान लगा रहे हैं। हम लोगों ने कोरोना महामारी में सरकार से 10000 लोन लेकर दुकाने लगाई थी। कई दिनों से लगातार नगर निगम के कर्मचारी दुकानदारों के तराजू बाँट उठा ले जाते है।
इससे परेशान होकर बुधवार को आक्रोशित ठेला व्यापारियों ने नगर निगम कर्मचारियों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया। अपने प्रदर्शन में दुकानदारों ने कहा कि जब तक हम लोगों को न्याय नहीं मिल जाता हम लोग यूं ही प्रदशन करते रहेंगे।
एक सच्चाई ये भी यही कि यहीं से चंद कदमों की दूरी पर आलमबाग चौराहे से लेकर सिंगार नगर तक दोनों तरफ शोरूम के दुकानदारों द्वारा अवैध रूप से आधी से ज्यादा सड़क को घेर लिया जाता है। जिसकी वजह से यातायात बाधित होता है। यह सड़क मुख्य रूप से लखनऊ कानपुर जाने वाली सड़क है।
कभी कभी तो इस सड़क पर पैदल चलना मुश्किल हो जाता है लेकिन इस सड़क से अतिक्रमण हटाने की हिम्मत नगर निगम के अधिकारियों की नहीं है।
क्योंकि सूत्रों से पता चलता है कि इन शोरूम के मालिकों द्वारा अच्छी खासी रक़म कुछ जिम्मेदार लोगों को दी जाती है और मजेदार बात यह है कि यह रक़म शोरूम के मालिक भी अपनी जेब से नहीं देते बल्कि उनकी दुकान के सामने लगी हुई अवैध दुकानों से वसूली करके ली हुई रकम का कुछ हिस्सा नगर निगम को देते हैं और यही कारण है कि कोई भी जिम्मेदार अधिकारी इन दुकानदारों के ऊपर कोई वैधानिक कार्रवाई करने से बचते है।
जबकि योगी सरकार और मोदी सरकार लगातार भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने के लिए बड़े-बड़े क़दम उठाते रहते हैं। लेकिन शायद उनके मंसूबों पर पानी फेरने के लिए इन दिखावटी रिश्वतखोर अधिकारियों ने कसम खा रखी है।
वहीं दूसरी तरफ लखनऊ मेयर संयुक्ता भाटिया से बात करने की कोशिश की गई तो उनके प्रतिनिधि साफ-साफ इस पूरे मामले से अपने आपको अलग करते हुए अतिक्रमण के मामलों में पुलिस को जिम्मेदार बता रहे हैं।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि अतिक्रमण करने वालों पर कार्यवाही करेगा कौन??
नगर निगम पुलिस पर ठीकरा फोड़ रही है और पुलिस नगर निगम पर। इन दोनों विभागों की मिलीभगत का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ता है और गरीबों को जो दो जून की रोटी के लिए फुटपाथ के किनारे चंद घंटों की दुकानदारी करते हैं।
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