अज्ञानता रूपी अंधकार को नष्ट करती है भागवत कथा-- आचार्य शेषधर मिश्र
- Posted By: MOHD HASNAIN HASHMI
- राज्य
- Updated: 15 April, 2022 23:20
- 514

प्रतापगढ
15.04.2022
रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी
अज्ञानता रूपी अंधकार को नष्ट करती है भागवत कथा-- आचार्य विद्याभूषण मिश्र
प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ जनपद के लक्ष्मीकांतगंज के थरिया गांव में चल रहे भागवत कथा में आस्था का जनसैलाब उमड़ रहा है। श्रद्धालु भागवत कथा का रसपान कर धन्य हो रहे हैं। शुक्रवार को श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस में भागवत महात्म की चर्चा करते हुए आचार्य विद्याभूषण मिश्र ने बताया कि भागवत आत्मदीप है। दीपक के जलते ही जैसे अंधकार समाप्त हो जाता है वैसे ही भागवत की कथा सुनते ही मानव के जीवन का अज्ञानता रूपी अंधकार नष्ट हो जाता है। भगवान के 24 अवतारों की चर्चा करते हुए कहा की भगवान इस धरा धाम पर अपने भक्तों के कल्याण के लिए अवतरित होते हैं। विशेष रूप से भगवान श्री राम के अवतार की चर्चा करते हुए श्री आचार्य ने कहा कि राम भारत की संस्कृति हैं। राम भारत की परंपरा और प्राण हैं। राम हर भारतीयों के हृदय में बसते हैं। हर भारतीयों के इष्ट का नाम श्री राम है। मर्यादा के स्वरूप भगवान श्रीराम हैं। मर्यादा पूर्वक जीवन व्यतीत करना ही राम के जीवन का अनुकरण है। राम साक्षात मर्यादा के स्वरूप हैं। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण के जन्म की कथा सुनाते हुए महाराज परीक्षित के पूछे हुए प्रश्नों को सुखदेव जी महाराज ने समाधान करते हुए कहा कि हे राजन भगवान श्री कृष्ण साक्षात ब्रह्म हैं। इनकी कथा सुनने वाले सुनाने वाले और इनके विषय में पूछने वाले इन तीनों का कल्याण होता है। जब जब धरा धाम पर असुरों का प्रभाव बढ़ जाता है तो परमात्मा किसी न किसी को पिता बनाकर इस धरा धाम पर अवतरित होते हैं। ऐश्वर्य का त्याग करके माधुरी के धरातल पर उतारना पिता से पुत्र बनने वाली क्रिया का नाम अवतार है। भगवान श्री कृष्ण का अवतार मथुरा में हुआ पर कंस जैसे आतताई के पास भगवान एक क्षण भी नहीं रह सके। जिस राष्ट्र में शांति, प्रेम और सद्भाव नहीं है वहां भगवान नहीं रह सकते। यही कारण है कि भगवान वहां से तुरंत गोकुल चले गए। जहां नंद जी महाराज और यशोदा माता विराजमान थीं।
Comments