उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 का राजनीतिक विश्लेषण
- Posted By: MOHD HASNAIN HASHMI
- राज्य
- Updated: 7 January, 2022 20:13
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PPN NEWS
प्रतापगढ
07.01.2022
रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 का राजनीतिक विश्लेषण
भारत के ऐतिहासिक प्रदेश,उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 का डंका शीघ्र बजने वाला है। किसी भी समय चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की तिथियां घोषित करके उत्तर प्रदेश में आचार संहिता लगाई जा सकती है।
वैसे तकरीबन सभी राजनीतिक दलों की ओर से प्रचार रथ सजाकर चुनाव प्रचार अभियान शुरू होकर अपनी-अपनी पार्टियों के जिंदाबाद तथा अपनी पार्टी के चुनाव चिन्हों पर मोहर लगाकर सत्तासीन करने का खेल शुरू हो गया है।
जगह जगह चुनाव की आम चर्चाएं भी होती नजर आने लगी हैं। कहीं,राष्ट्र के लब्धप्रतिष्ठित कवि *राजेंद्र राजन* की पंक्तियां__
" *देखो* *आए हैं शिकारी मेरे गांव* *में* ,
*जनता फिरसे है मनमारी मेरे* *गांव में* "
गुनगुनाई जा रही हैं।
तो कहीं, चाय पान की दुकानों पर देहाती कवि द्वारा लिखी गई __
" *फिर आये उल्लू के पट्ठे सोच समझकर चुनिएगा* ।"
पंक्तियों के चुनावी गीत दोहराए जा रहे हैं।
इन्हीं हलचलों के बीच भारतीय जनता पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी, समाजवादी पार्टी, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, आम आदमी पार्टी एवं जनसत्ता दल सहित तमाम राजनीतिक पार्टियां, अपनी अपनी चुनावी गणित लगाने में एंड़ी चोटी एक कर दे रही हैं।
जहां तक, भारतीय जनता पार्टी का प्रश्न है, वर्तमान समय में केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश की सरकारों पर सत्तासीन होने के कारण इधर कुछ दिनों से विविध प्रकार की लाभकारी योजनाएं चलाकर आम मतदाताओं को लुभाने का प्रयास जोरों पर है। यहां तक कि किसानों, बृद्धौं, विधवाओं, श्रमिकों सहित ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाली महिला कर्मियों के बैंक खातों में सरकारी धन का अंबार होता दिख रहा है। पेंशन की बढ़ोतरी करके उनके खातों में दूनी धनराशि धड़ाधड़ पहुंच रही है। मुफ्त में गैस कनेक्शन वितरण करने का काम भी जोरों पर है।
यही नहीं, विगत कई महीनों से गरीबी रेखा के नीचे वाले कार्ड धारकों सहित धनाढ्य परिवार के उन तमाम कार्डधारकों को, जिन्होंने एन केन प्रकारेण राशन कार्ड बनवाने में सफलता हासिल कर ली है, उन्हें मुफ्त का राशन देकर आम लोगों विशेषकर महिलाओं में चुनावी हलचल मचा दी है। यहां तक कि राशन के साथ नमक और रिफाइन आदि भी मुफ्त में कोटेदारों द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
आम मतदाताओं में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में राम मंदिर का रास्ता साफ हो गया है, धारा 370 हटाई जा चुकी है, मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से राहत मिल गई है और श्री काशी विश्वनाथ सहित मथुरा आदि धार्मिक स्थलों के विकास के प्रति पार्टी, विशेष संवेदनशील है। अधिकतर लोगों का कहना है कि इस पार्टी को शासन करने का अभी और अवसर मिलना चाहिए।
इधर, देखने में आया है कि भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित पार्टी के बड़े नेताओं की रैलियों और सभाओं में बड़ी संख्या में लोगों का जमावड़ा भी हो रहा है। लेकिन गोवंश द्वारा किसानों की फसलों का भयंकर नुकसान भी कहीं न कहीं से भारतीय जनता पार्टी के लिए बाधक बनता नजर आ रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर कई महीनों तक चला किसानों का आंदोलन भी कहीं न कहीं से रोड़ा अंटकाने में सफल दिखाई पड़ रहा है, जिसका प्रमाण प्रधानमंत्री की रैली का रद्द होना काफी है।
लेकिन इन सबके बावजूद फिलहाल अभी तक भारतीय जनता पार्टी का बैलेंस बना हुआ दिख रहा है।
समाजवादी पार्टी के मुखिया एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एवं प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल यादव में चुनावी तालमेल हो जाने के कारण उत्तर प्रदेश की सत्ता पुन: हथियाने का संकल्प दिखाई पड़ रहा है और इसके लिए उत्तर प्रदेश के पश्चिमांचल में हो रही अखिलेश यादव की रैलियों और सभाओं में भारी भीड़ इकट्ठा होने से पार्टी, उत्साहित नजर आ रही है। पार्टी के नेताओं द्वारा इस बात का माहौल बनाने का प्रयास किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के चुनाव में सफलता पाकर सत्तारूढ़ होगी और निश्चित रूप से अखिलेश यादव पुनः: मुख्यमंत्री बनेंगे।
वैसे भी, उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के मुखिया पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा उनके शासनकाल में दी गई सुविधाओं का प्रभाव, विशेषकर नवयुवक मतदाताओं में अद्भुत उत्साह दिखाई पड़ रहा है।
जहां तक बहुजन समाज पार्टी और उसकी राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का प्रश्न है, उत्तर प्रदेश की समस्त 403 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान करके अन्य राजनीतिक दलों एवं राजनीतिक विश्लेषकों में असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है। यद्यपि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा द्वारा विशेष रूप से ब्राह्मणों को प्रभावित करने के उद्देश्य से की जा रही सभाओं से पार्टी उत्साहित है, किंतु पार्टी की मुखिया मायावती की चुप्पी की राजनीति, क्या गुल खिलाएगी इसका कोई अंदाजा नहीं है। पार्टी की मुखिया द्वारा किसी भी नेता, बल्कि यूं कहिए की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के विरुद्ध किसी प्रकार का कोई बयान न देना, इस बात का स्पष्ट संकेत है कि चुनावी तालमेल न सही, चुनाव परिणाम आने के बाद कहीं न कहीं से भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन होना अवश्य संभावित है। इसलिए भी कि प्राणघातक दुश्मन की हैसियत में पहुंच चुकी समाजवादी पार्टी से किसी भी प्रकार का तालमेल होने का दूर-दूर तक कोई प्रश्न नहीं होता है। यद्यपि राजनीति की उठापटक में कुछ भी असंभव नहीं है।
जहां तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का प्रश्न है, उसके चर्चित नेता राहुल गांधी के वक्तव्य एवं राजनीतिक गतिविधियों का दूर-दूर तक कोई प्रभाव आम जनमानस में नजर नहीं आ रहा है। लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि देश की राजनीति में विशेष रूप से उत्तर प्रदेश की राजनीति में प्रियंका गांधी बाड्रा के सक्रिय हो जाने से निश्चित रूप से यह कहा जा सकता है कि पार्टी में जान आ गई है। यद्यपि आम नागरिकों विशेषकर महिलाओं व छात्राओं को पार्टी द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं की घोषणाओं का प्रभाव चर्चा में है। पार्टी के नेता भी उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने के लिए उत्साहित दिखाई पड़ रहे हैं, लेकिन देखने में आ रहा है कि सत्ता में आने के लिए पार्टी को अभी और कोई चमत्कार दिखाना पड़ेगा।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने वाले प्रतापगढ़ की भदरी रियासत के राजकुमार एवं चर्चित नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने जनसत्ता दल नामक राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी का गठन किया है। यद्यपि चर्चा में है कि जनसत्ता दल और भारतीय जनता पार्टी का चुनावी गठबंधन हो सकता है, लेकिन पार्टी द्वारा उत्तर प्रदेश में प्रथम किश्त के रूप में कुल 11 प्रत्याशियों की घोषणा करके सभी लोगों को चौंका दिया है। लोगों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी पर दबाव बनाने के लिए शीघ्रता में पार्टी के उम्मीदवारों की घोषणा की गई है। वास्तविकता क्या है, इसे तो पार्टी ही जाने।
राष्ट्र की राजनीति में धमाकेदार दखलंदाजी करने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी के अपने उम्मीदवारों को उतारने का ऐलान करके अन्य राजनीतिक पार्टियों की नींद हराम कर दी है।
अभी नए वर्ष में 2 जनवरी को प्रदेश की राजधानी लखनऊ मुख्यालय पर भारी संख्या में उपस्थित कार्यकर्ताओं की रैली की सफलता ने भी आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ा दिया है। उत्तर प्रदेश के प्रभारी राज्यसभा सदस्य संजय सिंह भी जंग जीत लेने का संकल्प लिये ऊंची ऊंची उड़ाने भरते नजर आ रहे हैं।
अभी हाल में चंडीगढ़ में नगर पालिका के चुनाव के परिणाम में मिली पार्टी की सफलता से भी अरविंद केजरीवाल,संजय सिंह व उनकी आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओ में जोश दिखाई पड़ रहा है।
बहरहाल, उत्तर प्रदेश में चुनावी बिगुल बजने वाला है। सभी राजनीतिक दल के नेता और कार्यकर्ता डमरु बजाने की ओर अग्रसर है। किसी भी समय चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की तिथियां घोषित हो सकती हैं। राजनीतिक दल उत्तर प्रदेश की समस्त विधानसभाओं के लिए अपने उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया में तत्पर दिखाई दे रहे हैं। उम्मीदवारों की घोषणाओं के बाद हर विधानसभा क्षेत्रों में पार्टियों की तस्वीर साफ होगी।
अब तक की चुनावी गतिविधियों से यह साफ नजर आ रहा है कि उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी एवं समाजवादी पार्टी में आमने सामने की भयंकर टक्कर होने की संभावना है। उत्तर प्रदेश की सत्ता पर कौन पार्टी आरूढ़ होगी, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी।
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