बसंत ऋतु आइगो
- Posted By: Alopi Shankar
- राज्य
- Updated: 16 February, 2021 19:48
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प्रकाश प्रभाव न्यूज़ प्रयागराज
संग्रहकर्ता - सुरेश चंद्र मिश्रा "पत्रकार"
।।बसंत ऋतु आइगो।।
मन के मरुस्थल में लाकर ललित बसंत मुरझाए भावों के सुमन सरसाती जा।।
भक्ति ज्ञान वैराग्य का बहे त्रिविध समीर कृपा मई कोकिल के मधु स्वर सुनाती जा।।
सूख रही कविता कृषि ऋषि मुनि संपूजिता तूं बुद्धि धरा पर बन त्रिवेणी लहराती जा।।
मेरे कुछ बसना बन सावन बरस ना अंब रसना पर बैठ मंजु वीणा बजाती जा।
।। बसंत सखि आइगो।।
नदियन मे नारन में कुंजन पहारन में खेतन कछारन में मादक रस छाइगो।
बागन बगीचन में उंचन में नीचन में दरिन गलीचन में प्रेम छलकाइगो।
आमन के बौरन में पनघट के ठौरन मे पागन पिछौरन में मयन लुकाइगो।
ऐरी अली वाटिका की कली कली बौरी भई निर्मल, अस लागत बसंत ऋतु आइगो।
सखी दिग दिगंत में बसंत सेन साजि जम्यो आयो न कंत याते मन मुरझाइगो।
देखो न पलाशन को केसर में बोरि बोरि मानों ऋतु राज निज हाथन नहवाइगो।
बेला चमेली कचनार गुलदाउदी गुलाबन की कलियन में नव उमंग छाइगो।
फूली फुलवारिन में केशर की क्यारिन में निर्मल,,रति नाथ राज धानी ज्यों बनाइगो।
मौलिश्री के कुंजन में लतन के निकुंजन में सरसिज के पुंजन में भ्रमर भरमाइगों।
जूही छतनार कचनार इठलाइ रहे पीपर पुन्नाग पारिजात बौराई गो।
उडति सुंगंध टूटे लाज तट बंध पंच पुष्पन के सायक संबंध बिसराइगो।
कछू नहिं भावे मन प्रेम राग गावे कूकि कोकिल बतरावे कि बसंत कंत आइगो।।
भगवान रास राजेश्वर को सादर समर्पित।।
बसंत पंचमी पर बहुत बहुत शुभकामनायें।।
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