सहकारी समितियों से नदारद यूरिया, निजी दुकानों पर लगा अंबार

सहकारी समितियों से नदारद यूरिया, निजी दुकानों पर लगा अंबार

प्रतापगढ 


18.01.2022



रिपोर्ट--मो.हसनैन हाशमी



सहकारी समितियों से नदारद यूरिया,  निजी दुकानों  पर लगा अम्बार      



       

प्रतापगढ़।सहकारी समितियों में सरकार किसानों को मुहैया करवाने के लिए उर्वरको की आपूर्ति करती है पर रात के अंधेरे में यह उर्वरक दुकानों पर पहुंच जाती है और किसान खाद के लिए सहकारी समितियों का चक्कर काटते काटते थक हार कर निजी दुकानों से मंहगे दामों में यूरिया की खरीददारी करने को मजबूर है, वहीं इनकी निगरानी करने वाले अधिकारी भी उदासीन बने हुए हैं।                                             बता दें कि बाजारों में इन दिनों किसानों की जरुरत को भुनाने के लिए तमाम ब्रांडों की यूरिया व डीएपी नजर आ रही है, जिन पर किसान भरोसा नही कर पाते हैं। सरकार ने भी किसानों को उचित मूल्य पर उर्वरक व बीज मुहैया करवाने के लिए जगह जगह पर सहकारी समितियों को खोल रखा है जिन्हें किसान विश्वसनीय भी मानते है। जहां ज्यादातर सिर्फ इफ्को यूरिया व डीएपी की ही आपूर्ति होती है। आज जब कि बीते दिनों हुई दो तीन दिनों की बरसात के बाद किसानों को फसल की सिंचाई की जरूरत नही महसूस हो रही है ऐसे में किसान अपनी गेहूं की फसल में यूरिया का छिड़काव कर रहे हैं, इस लिए वे इफ्को यूरिया के लिए समितियों का चक्कर काट रहे हैं, ज्यादातर समितियों में इन दिनों यूरिया खाद नहीं मिल रही है। जबकि निजी दुकानों में इफ्को यूरिया की भरमार है।

 सहकारी समितियों में यूरिया की आपूर्ति तो हो रही है पर इसका लाभ किसानों के साथ निजी विक्रेताओं को मिल रहा है। शाम होते ही यह खाद निजी दुकानों पर चली जाती है और समितियों पर नो स्टॉक का बोर्ड लग जाया करता है।समितियों पर जहाँ इफ्को यूरिया 280 रुपये प्रति बोरी मिलती है वही निजी दुकानों पर यही खाद 340 से 350 रुपये प्रति बोरी बिक रही है। आश्चर्य का विषय तो यह है कि आखिर सरकारी आपूर्ति वाली यह इफ्को यूरिया निजी दुकानों पर कैसे बिक रही है, और यहां हो रहा किसानों का आर्थिक शोषण जिम्मेदारों को क्यो नजऱ नही आता है। हालात यह है कि यूरिया आने की जानकारी के बाद समितियों पर किसानों की भीड़ दिखाई पड़ने लगती है पर दूसरे दिन वहाँ पहुचने वाले किसानों को उर्वरक नही मिल पाती है।

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