सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का सुदामा चरित्र व राजा परीक्षित मोक्ष प्रसंग के साथ हुआ समापन

सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का सुदामा चरित्र व राजा परीक्षित मोक्ष प्रसंग के साथ हुआ समापन

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सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का सुदामा चरित्र व राजा परीक्षित मोक्ष प्रसंग के साथ हुआ समापन


शुक्रवार को विशाल भंडारे का होगा आयोजन


मोहनलालगंज, लखनऊ।


रिपोर्ट- सरोज यादव।


निगोहां के सैदापुर गांव में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में सांतवे दिन समापन पर गुरूवार को वृंदावन धाम के कथा व्यास आचार्य पंडित शिव ओम कृष्ण जी महाराज ने श्री कृष्ण लीला का संक्षिप्त सार, सुदामा चरित्र व राजा परीक्षित की मोक्ष का वर्णन किया जिसे समस्त भक्तों ने पूरे भक्ति भाव से श्रवण किया। कथा व्यास आचार्य ने बताया कि श्रृंगी ऋषि के श्राप को पूरा करने के लिये तक्षक नामक सांप भेष बदलकर राजा परीक्षित के पास पहुंचकर उन्हें डस लेता है।

जहर के प्रभाव से राजा का शरीर जल जाता है और उनकी मृत्यु हो जाती है लेकिन श्रीमद्भागवत कथा सुनने के प्रभाव दर राजा परीक्षित को मोक्ष प्राप्त होता है‌। कथा व्यास ने कहा कि कथा के श्रवण  करने से जन्म जन्मांतरो कर पापों का नाश होता है ओर विष्णु लोक की प्राप्ति होती है उन्होने कहा कि संसार में मनुष्य को सदा अच्छे कर्म करना चाहिए,तभी उसका कल्याण सम्भव है।

कथा में अंतिम दिन सुदाम चरित्र की लीला का भावपूर्ण वर्णन किया गया।'अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो दर पे सुदामा गरीब आ गया है'के भजन पर श्रोता भाव विभोर हो उठे। प्रसंग सुनाते हुये कथा व्यास ने कहा कि मित्रता जीवन का आधार है। सुदामा और कृष्ण की मित्रता आज भी प्रासंगिक है।

सुदामा गरीब ब्राहम्ण थे अपने बच्चो का पेट भर सके उतने भी सुदामा के पास पैसे नही थे,पत्नी के बार बार कहने पर वो अपने मित्र कृष्ण के यहां पर गये और बगैर मांगे ही उन्हें वह सभी कुछ मिल गया। जिसकी इच्छा को मन में धारण करते हुए वह गए थे। इसी बात को आगे बढाते हुये कथा व्यास नर कहा कि कृष्ण और सुदामा का प्रेम यानी सच्चा मित्र प्रेम।

इसीलिए आज इतने युगों के बाद भी दुनिया कृष्ण और सुदामा की दोस्ती को सच्चे मित्र प्रेम के प्रतीक के रूप में याद करती है।आयोजक प्रताप नारायण मिश्रा ने बताया सात दिवसीय भागवत कथा के समापन पर शुक्रवार को हवन पूजन के साथ ही विशाल भंडारे का आयोजन किया जायेगा।

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