ग्रेटर नोएडा में रिहायशी सेक्टरों के नाम नाम बदल कर, संख्यात्मक अंकों से रखने की तैयारी

ग्रेटर नोएडा में रिहायशी सेक्टरों के नाम नाम बदल कर, संख्यात्मक अंकों से रखने की तैयारी

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ग्रेटर नोएडा

ग्रेटर नोएडा में रिहायशी सेक्टरों के नाम नाम बदल कर, संख्यात्मक अंकों से रखने की तैयारी  


शेक्सपीयर की एक मशहूर लाइन है- नाम में क्या रखा है? लेकिन ग्रेटर नोएडावासी के लिये उनके अपने सेक्टर के नाम ही परेशानी का सबब बने हुए है. वर्तमान में जो सेक्टर के नाम अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा आदि है. इन नामों की वजह से इन सेक्टरों के लोकेशन का अंदाजा नहीं लग पाता है। ग्रेटर नोएडावासियों से भी सुझाव ले कर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण इन सेक्टरों के नाम बदलने पर विचार कर रहा है। सीईओ नरेंद्र भूषण की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस प्रस्ताव को अमलीजामा पहनाने के लिए प्राधिकरण ने कमेटी भी गठित कर दी है। कमेटी ग्रेटर नोएडा वासियों से भी सुझाव लेगी। उसके बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। 


ग्रेटर  नोएडा का जब 1991 में गठन हुआ था, तब यहाँ के सेक्टरों का नाम यूनानी वर्णमाला अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा  के आधार पर रखा गया था, लेकिन इन नामों रखे गये सेक्टरो से आम आदमी के लिये सेक्टरों के लोकेशन का अंदाजा लगाने परेशानी हो रही थी, इसके बजाये नोएडा में रखे सेक्टर के नाम संख्यात्मक अंकों होने की वजह से आसानी सेक्टरों के लोकेशन का अंदाजा लग जाता है. नोएडा के तर्ज पर अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा के स्थान पर सेक्टर एक, दो, तीन, चार..., संख्यात्मक अंकों से रखने की तैयारी है। 


ग्रेटर नोएडा के सीईओ नरेंद्र भूषण की अध्यक्षता में बैठक में एसीईओ दीप चंद्र और अमनदीप डुली समेत सभी वरिष्ठ अधिकारीगण शामिल हुए। बैठक में इन नामों को बदलने पर सहमति बनी। जितने भी औद्योगिक सेक्टर हैं, उनके नाम ईकोटेक से रहेंगे। संस्थागत और आईटी सेक्टरों के नाम नॉलेज पार्क वन, टू, थ्री, फोर ..., से ही रहेंगे। टेकजोन नाम खत्म किए जाएंगे। रिहायशी सेक्टरों  के नाम सेक्टर-एक, दो, तीन, चार..., जैसे संख्यात्मक अंकों से होंगे।


इनके लागू होने के बाद संपत्ति की लीज डीड होने पर नए नाम के साथ ही कोष्ठक में पुराने नाम भी लिखे जाएंगे, ताकि कोई असमंजस की स्थिति उत्पन्न न हो। इस प्रस्ताव को अमलीजामा पहनाने के लिए सीईओ ने एसीईओ दीप चंद्र की अध्यक्षता में कमेटी बना दी है। कमेटी से शीघ्र प्रस्ताव देने को कहा गया है। कमेटी इसे अंतिम रूप देने से पहले ग्रेटर नोएडावासियों से भी सुझाव लेगी। उसके बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

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