क्या किसी ने इन अति सम्मानित सत्ताधारी माननीयो को कही देखा है
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- खबरें हटके
- Updated: 19 May, 2020 09:29
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क्या किसी ने इन अति सम्मानित सत्ताधारी माननीयो को कही देखा है
पी पी एन न्यूज विशेष
(कमलेन्द्र सिंह)
संक्रमण काल में इनका यूँ नदारत रहना कई प्रकार के सवाल खड़े करता है। जनता को जनार्दन की संज्ञा देने वाले ये माननीय सुरक्षित तो है, इसको लेकर भी संशय उत्पन्न हो रहा है! ऐसा लगता है जैसे अज्ञात वास में या कवारंटाईंन हैं...! जनता की तो ये सुध ले नहीं रहे, इस दरमियान एक भी दिन सामाजिक सरोकारो से भी दूर हैं, आख़िर क्यों...! यह अबूझ पहेली बना हुआ है। एक बड़का जनप्रतिनिधि ने बड़बोलेपन में ग़ैर प्रांतो और जनपदो में फ़से श्रमिकों और छात्रों को फ़तेहपुर लाने के लिये भरपूर मदद का आश्वासन ही नहीं दिया बल्कि “अपना” और “अपने कम्प्यूटर आपरेटर” के मोबाइल नम्बर भी अख़बार में मोटी हेडिंग में छपवाकर तीर मार लेने का दावा किया। अब न तो उनका मोबाइल उठता है और ना ही उनका कम्प्यूटर आपरेटर फ़ोन (मोबाइल) उठाता है। कार्यालय में भी ताला लटक रहा है, ये तो इनका हाल है!
इस जनपद के ये सियासी क्षत्रप कहाँ है और क्यों भूमिगत हैं, इसका किसी के पास कोई जवाब नहीं है। वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल में पिछले लगभग आठ सप्ताह से देश में लाँक डाउन चल रहा है। इसका व्यापक असर उत्तर प्रदेश में और फ़तेहपुर में भी पड़ा है किंतु इस आपातकाल जैसी स्थिति में जनपद के माननीयो का कोई अता-पता नहीं है। बड़ी बात यह है कि ये सभी वीवीआईपी जनप्रतिनिधि सत्तारूढ़ दलो से सम्बंधित हैं, इनमे एक केन्द्र में बड़े विभाग का क़द्दावर मंत्री है तो दो प्रदेश सरकार के प्रतिष्ठित विभागों का बतौर मंत्री प्रतिनिधित्व करते हैं।
चार अन्य भी अपने आप में काफ़ी हैं...! मुझे यह कहने में क़तई गुरेज़ नहीं है कि कोरोना वायरस संक्रमण काल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के अथक प्रयास निःसंदेह क़ाबिले तारीफ़ रहें हैं और देश-दुनिया ने खुले मन से सराहा भी किंतु स्थानीय जनप्रतिनिधियो ने तो अपने पद एवं गरिमा के साथ-साथ जनता के दुःख-दर्द में खड़े रहने की शपथ का ज़रा सा भी ध्यान नहीं रखा। इतना ही नहीं इनमे से क़इयो ने कोरोना मदद के नाम पर घोषणा और पत्रक जारी करने के बावजूद अपनी निधि के प्रस्ताव में कटौती तक कर दी। यहाँ पर ग़ौरतलब है कि “बड़े लंबरदार” को तो जैसे पता ही नहीं है और उनके विभाग (खाद्य एवं रसद) में फ़तेहपुर के साथ साथ प्रदेश भर में लूट मची है...! शहरी अपने जनप्रतिनिधि को ढूँढ रहे हैं तो ग्रामीण अपने जनप्रतिनिधि की तलाश में भटक रहे हैं...! एक वरिष्ठ पत्रकार और वरिष्ठ अधिवक्ता ने इन माननीयो का जनता से विमुख होने के दो कारण बताये है, पहला सांसद और विधायक निधि का क्रमश दो व एक साल के लिये निलंबित होना और दूसरा दोनो के वेतन में तीस फ़ीसदी की कटौती हो जाना...!
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