प्रतिकूल परिस्थितियों में भी भगवत भक्ति का आश्रय लेते हुए कर्मयोगी बने रहने का प्रतीक होली है
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- Updated: 18 March, 2022 03:17
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प्रकाश प्रभाव न्यूज़(PPN)
उदयवीर सिंह शाहजहांपुर
प्रतिकूल परिस्थितियों में भी भगवत भक्ति का आश्रय लेते हुए कर्मयोगी बने रहने का प्रतीक होली है
शाहजहांपुर। प्रतिकूल परिस्थितियों में भी भगवत भक्ति का आश्रय लेते हुए कर्मयोगी बने रहने का प्रतीक होली है जिस तरह भक्त प्रहलाद के जीवन में उसके अपने पिता जोकि राजा हिरण्यकशिपु है घमंड की पराकाष्ठा में जी रहे हैं अपने आप को भगवान मानते हैं अपने राज्य से भगवत भक्ति समाप्त करने के लिए साम दाम दंड भेद आदि सभी प्रकार के प्रयोग कर रहे हैं भक्त प्रहलाद को नाना प्रकार की यातनाएं दे रहे हैं उसी क्रम में हिरण्यकशिपु अपनी बहन होलिका जिसे वरदान प्राप्त था अग्नि का ताप तुम्हें कभी प्रभावित नहीं करेगा अग्नि से जलेगी भी नहीं हिरण्यकशिपु ने होलिका को आदेश दिया प्रहलाद को गोदी में लेकर लकड़ियों के बहुत बड़े ढेर पर बैठ जाओ उसमें आग लगा दी जाएगी पहलाद जलकर मर जाएगा किंतु भक्तराज पहलाद भक्ति का आश्रय लेकर सकुशल बच गए अधर्म का साथ देने वाली होली का जलकर राख हो गई भक्तराज पहलाद के सकुशल बच जाने पर लोगों में क्रांति आई लोगों ने एक दूसरे को रंग लगाकर एवं मिठाई खिलाकर प्रसन्नता व्यक्त की अधर्म करने वाला नष्ट होता ही है अधर्म का साथ देने वाला भी नष्ट होता है अधर्म पर धर्म की विजय असत्य पर सत्य की विजय बुराई पर अच्छाई की विजय का नाम होली है अपने अंतःकरण में स्थित बुराइयों को होलिका दहन में विसर्जित कर दें यही होली का संदेश है मानव का मानव से हो भाईचारा यही संदेश हमारा समस्त देशवासियों को रंगो के महापर्व होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

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