उच्च न्यायालय को गुमराह करने पर ग्राम प्रधान पर तीन लाख रूपये हर्जाना

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उच्च न्यायालय को गुमराह करने पर ग्राम प्रधान पर तीन लाख रूपये हर्जाना
रिपोर्ट:- नीलेश चतुर्वेदी
पीलीभीत। उच्च न्यायालय से तथ्यों को छुपाकर एक ही मामले में चार याचिका दायर करना पीलीभीत के ग्राम चंदपुरा के ग्राम प्रधान नूर हसन को महंगा साबित हुआ उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने ग्राम प्रधान को तीन लाख रुपये से दण्डित किया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम चंदपुरा के प्रधान नूर हसन ने अपने वित्तीय व प्रशासनिक अधिकार छीने जाने के खिलाफ उच्च न्यायालय इलाहाबाद में अपने अधिवक्ता सुरेन्द्र पाल गंगवार से याचिका दायर कराई जिसमे उच्च न्यायालय से कोई रिलीफ नही दी गयी जिसके बाद उक्त ग्राम प्रधान ने दोबारा पहली याचिका का आदेश छुपाते हुए उच्च न्यायालय में दूसरे अधिवक्ता संजय सिंह से वही याचिका दायर कराई जिसमे भी उच्च न्यायालय ने कोई रिलीफ नही दी दोबारा रिलीफ ना मिलने पर तीसरी बार फिर से उक्त ग्राम प्रधान ने पिछले दोनों आर्डर छुपाते हुए अपने अधिवक्ता संजय सिंह से ही तीसरी बार वही याचिका तथ्यों को छुपाते हुए दायर करा दी परन्तु फिर भी कोई रिलीफ नही मिली।
तीनो बार कोई रिलीफ ना मिलने पर उक्त ग्राम प्रधान ने चौथी बार फिर से अपने पुराने अधिवक्ता सुरेन्द पाल गंगवार से वही विषय की याचिका दायर कराई जिसपर उच्च न्यायालय द्वारा संज्ञान लेकर पुरानी याचिकाओं को पकड़ लिया गया और ग्राम प्रधान व अधिवक्ता को नोटिस जारी करते हुए अदालत ने दोनो को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया। कोर्ट में हाजिर न होने पर ग्राम प्रधान नूरहसन के खिलाफ कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया था जिसके अनुपालन में ग्राम प्रधान नूरहसन को पुलिस ने गिरफ्तार करके हाईकोर्ट के समक्ष पेश किया जहां माननीय उच्च न्यायालय ने याची को छोड़ते हुए आदेश दिया कि याची अगली तिथि पर पुनः उपस्थित हो, अगली तिथि पर सजा से बचने हेतु अपना पक्ष रखने के लिये नूर हसन ने हाईकोर्ट के अधिवक्ता सुशील पाण्डेय को अपना अधिवक्ता नियुक्त किया।
कोर्ट ने याची को 5 लाख रू० जुर्माने के साथ जेल भेजने का मन बना लिया था लेकिन हाईकोर्ट के अधिवक्ता सुशील पाण्डेय ने याची का पक्ष रखते हुए याची को जेल न भेजने एवं कम से कम जुर्माना लगाने के लिये निवेदन किया जिसपर माननीय उच्च न्यायालय ने याची को जेल न भेजकर, जुर्माने की राशि 5 लाख रूपये से घटाकर 3 लाख रूपये करते हुए याचिका खारिज कर दी और याची के पूर्व अधिवक्ता सुरेन्द्र पाल गंगवार को भी भविष्य में दोबारा ऐसी गलती न करने की चेतावनी दी ।
क्या कहते हैं अधिवक्ता सुशील पांडेय
मेरे को नूर हसन ने अपना अधिवक्ता नियुक्त तब किया जब उनके खिलाफ हाईकोर्ट ने एनबीडब्ल्यू जारी कर दिए थे जिसपर मैने क्लीन हैंड से पैरवी व निवेदन कर पाँच लाख रुपये से कम कराकर तीन लाख रुपये जुर्माने से दण्डित कराया है मेरे द्वारा उनकी कोई भी याचिका दायर नही की गई थीं। ऐसे मामलों में हाईकोर्ट जेल भेजता है परंतु भाग्यवश ग्राम प्रधान बच गए इसको चाहे मेरी मेहनत समझिए चाहे उनकी किस्मत।
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