रामपुर मथुरा क्षेत्र में बालू व मिट्टी खनन जोरों पर खनन से संबंधित अधिकारी नही कर रहे कार्यवाही
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- Updated: 16 September, 2020 15:57
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रामपुर मथुरा , सीतापुर।
Report , मनोज कुमार सीतापुर।
रामपुर मथुरा क्षेत्र में बालू व मिट्टी खनन जोरों पर खनन से संबंधित अधिकारी नही कर रहे कार्यवाही
जनपद सीतापुर की तहसील महमूदाबाद के थाना रामपुर मथुरा में जहां भ्रस्टाचार पर अंकुश लगाने और माफियाओ व खनन माफियाओ पर तुरत कार्यवाही में किसी तरह के हस्तक्षेप पर पावंदी लगाते हुए यूपी के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियो को कार्यवाही के लिए खुली छूट दे रखी है। लेकिन प्राप्त जानकारी अनुसार सूत्रों का कहना है कि सीतापुर जिले की तहसील महमूदाबाद में जिम्मेदार अधिकारियों की नीति के चलते ग्राम पंचायत रामपुर मथुरा , सोहरिया , अंगरौरा , खनेवा, मितौरा , में लगभग करीब 6 सप्ताह से चल रहे भारी पैमाने पर अवैध खनन जोरो पर है। मीडिया की सुर्खियां बने पर अब तक जिम्मेदार अधिकारी खनन पर रोक लगाने में नाकाम साबित हो रहे है।
आपको बताते चले कि रामपुर मथुरा में सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार ज्ञात हुआ कि सोहरिया, अगरौरा ,खनेवा , मितौरा आदि गांवों में त्यागी कुटी के पास के जेसीवी मशीन से बालू खनन का कार्य चल रहा था। जब इस सम्बन्ध मे उपजिलाधिकारी महमूदाबाद के सीयूजी नंबर पर कॉल की गई तो नंबर नाट रिचेवुल बताता रहा। जिसको लेकर पुलिस अधीक्षक के पीआरओ से शिकायत कि गई परन्तु मौके पर कोई प्रशासनिक अधिकारी नही पहुंचा। और थानाध्यक्ष रामपुर मथुरा को सूचना दी गयी। लेकिन एस एच ओ ने भी उपरोक्त प्रकरण पर नजर नही डाल रहे है।
वही पर जेसीबी मशीनों द्वारा क्षेत्रीय किसानों को चंद रुपयो का लालच देकर कृषि योग्य भूमि की 3 फीट की जगह 10 -10 फ़ीट गहराई तक की मिट्टी खुदाई कर के बालू डम्प कर ट्राली से पहुंचाई जा रही। बालू की भारी मात्रा में खुदाई से ग्रामीण भी काफी परेशान है । लेकिन खनन माफियाओं की ऊंची पहुंच और रसूख के आगे बेबस और भय भीत है। और क्षेत्र का आलम यह है कि खनन माफियाओं के डर से कोई भी शिकायत करने का साहस नही जुटा पा रहा है।
जिससे उपरोक्त प्रकरण पर खनन माफियाओं के हौसले बुलंद होते नजर आ रहे है। और खनन माफिया शिकायतकर्ताओं पर हमले करने पर भी उतारू हो जाते है। फिर भी जिम्मेदार चुप्पी साधे हुए है। अधिकारियो की खामोशी जहां शिकायतकर्ताओं की जान की दुश्मन बनी है। और राजस्व बिभाग को भी भारी मात्रा में घाटा सहना पड़ रहा है।
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