प्रेमनगर में दो दिवसीय ऐतिहासिक मेला सम्पन्न

प्रेमनगर में दो दिवसीय ऐतिहासिक मेला सम्पन्न

प्रकाश प्रभाव न्यूज़ 

सरवरे आलम, संवाददाता 

Master of Journalisn and Mass Communication

फतेहपुर | 17 सितंबर 2025


सुल्तानपुर घोष /फतेहपुर। प्रेमनगर कस्बे में दो दिवसीय ऐतिहासिक व पारंपरिक मेले का आयोजन हुआ। हर साल की तरह इस साल भी मेला लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा। मेले को देखने के लिए न सिर्फ आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों से, बल्कि दूर-दराज़ के गांवों से भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। इस दौरान मेले में लगे झूले, खिलौनों, मिठाइयां और हस्तलिपि की दुकानों पर बच्चों और महिलाओं सहित बड़े बुजुर्ग लोगों की खूब चहल पहल रही। पूरा कस्बा मेले के रंग में रंगा नजर आया। मेले की शुरुआत के साथ ही कस्बे की गलियों और मैदानों में रौनक लौट आई। स्थानीय निवासियों के अनुसार यह मेला वर्षों से आयोजित होता आ रहा है और इसे क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान के तौर पर देखा जाता है।मेला आयोजन समिति के सदस्यों का कहना है कि यह परंपरा समुदाय के मेल-जोल और एकजुटता का प्रतीक है।


मेले में उमड़ा जनसैलाब

जानकारी के मुताबिक बता कि मेले के आखिरी दिन मेला देखने वाले लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। सुबह से ही लोगों का धीरे-धीरे आवागमन जारी रहा जो कि शाम होते-होते एक बड़े जनसैलाब के रूप में परिवर्तित हो गया। प्रेमनगर की सभी सड़कों पर भीड़ ही भीड़ दिखी। चाहे मेन सड़क रही हो या फिर लिंक रोड सभी सड़कों पर मेला देखने वालों का जमावड़ा लगा रहा।


जलेबी के बिना मेले की रौनक फीकी

कहते हैं कि अगर मेला लगा हो और मेले में गुड़ व चीनी वाली जलेबी की दुकान न लगी हो तो मेले की पूरी रौनक ही खत्म हो जाती है। दरअसल असली मेले की पहचान तो जलेबियों से होती हैं। क्योंकि जो कोई भी यानी अमीर हो या फिर गरीब मेला देखने के लिए जाते हैं तो जरूर मेले से गुड़ या चीनी की जलेबियां खरीदकर अपने घर ले जाते हैं और बड़े ही स्वाद साथ खाकर लुत्फ उठाते हैं।



दंगल प्रतियोगिता में दिखा जोश

दूसरे दिन आयोजित दंगल प्रतियोगिता में कई जिलों से आए पहलवानों ने खूब बढ़चढकर हिस्सा लिया। अखाड़े में मुकाबले दिनभर चले और छोटे से छोटे व बड़े बड़े पहलवानों ने अपने अपने दांवपेंच दिखाकर लोगों का ध्यान अपनी तरफ केंद्रित किया। वहीं दंगल में बड़ी संख्या में मौजूद दर्शकों ने इसका खूब आनंद लेते रहे। वहीं दंगल आयोजकों द्वारा विजेता पहलवानों को सम्मानित भी किया गया।



खरीदारी और स्थानीय स्वाद का संगम

मेले में लगे झूले, खिलौनों की दुकानें और स्थानीय खानपान की स्टॉलों पर बड़ी संख्या में लोग जुटे रहे। खासकर चीनी व गुड़ की बनाई जा रही जलेबियों की दुकानों पर लोगों की अच्छी खासी भीड़ देखने को मिली। लोगों ने खूब गुड़ व चीनी की जलेबियां खरीद कर अपने घरों को लेकर गए। मेले में बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों सहित सभी के लिए कुछ न कुछ मौजूद था। हालांकि खरीददारी में महिलाएं भी पीछे नहीं दिखी। महिलाओं ने मेले से अपनी जरूरत वाली चीजों की खूब जमकर खरीददारी की।


व्यवस्था और सुरक्षा पर विशेष ध्यान

प्रशासन और मेला आयोजन समिति की ओर से मेले की व्यवस्थाएं इस बार काफी सुव्यवस्थित रहीं। पुलिस और आयोजक की तैनाती के चलते भीड़भाड़ के बावजूद किसी भी तरह की कोई अव्यवस्था की खबर नहीं मिली। वहीं स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि “सुरक्षा और सफ़ाई को प्राथमिकता दी गई थी, ताकि लोग बिना किसी चिंता के घूम घूमकर पूरे मेले का भरपूर आनंद ले सकें।”


मेले में आए हुए लोगों का जताया आभार


मेले के समापन अवसर पर मोहम्मदपुर गौती ग्राम प्रधान मोहम्मद कफील सिद्दीकी, रामपुर ग्रामसभा से पूर्व प्रधान इस्तेयक अहमद, शोहदमऊ ग्राम प्रधान प्रतिनिधि मोहम्मद ग़यास, काजीपुर ग्राम प्रधान प्रतिनिधि मोहम्मद उमर, रामपुर ग्राम प्रधान मोहम्मद अनवर, शोहदमऊ से पूर्व प्रधान सोहेल अहमद सिद्दीकी सहित स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने कार्यक्रम में शामिल लोगों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि पारंपरिक मेलों के ज़रिए ग्रामीण संस्कृति और लोक जीवन को नई पीढ़ी तक पहुंचाना आज की ज़रूरत है।

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